सोमवार, 15 अप्रैल 2019

कैसे भूल सकता है धानुक समाज 11अप्रैल 1977 का वो काला दिन जब देश के महान साहित्यकार को राजनीतिक तरीके से हत्या कर दी गई थी...........

महान साहित्यकार फणीश्वरनाथ रेणु जी जयप्रकाश नारायण जी के साथ आंदोलन में थे और उसी दौरान हुई लाठीचार्ज(तानाशाही)के वाद उन्होंने पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया था उनके बेटे दक्षिणेश्वर राय जी की का कहना और सरकार से मांग 24मार्च 1977 को रेणु जी को अल्शर के वजह से पटना के पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था इसी दिन एक vvip सख्स को भी भर्ती कराया गया था रेणु जी पहले एडमिट हुए थे पर ऑपरेश थिएटर में बाद में ले जाया गया उन्होंने बताया कि आखरी दिन दिल्ली से एक डॉ बुलाए गए जिनका नाम डॉ यूएन शाही था डॉ साही ने आखिरकार किन परिस्थियों में उनको एनेस्थीसिया का डबल डोज दिया जिसके वजह से उनकी तवियत लगातार बिगड़ती गई वह 19 दिनों तक अचेतावस्था में रहे जिंदगी से संघर्ष करते रहे और 11अप्रैल 1977 उनकी निधन हो गई

करोड़ों धानुक जाती के लोग सरकारों से जानना चाहता है जब बीमारी अल्शर थी तो एनेस्थीसिया का डबल डोज क्यों दिया गया अगर सरकारें इस मुद्दे पर ध्यान नही देता है तो आने वाले 11अप्रैल उनके पुण्यतिथि पर समाज तय करेगा आगे की नीति

.......... AMIT KATHERIYA

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