यदि आपको आने वाले इग्जाम (exam) ने स्ट्रेस दे दिया है तो इसे पढ़ लें….......................(1)
फिर से परीक्षा का बुखार सर पर चढ़ रहा है. IBPS, RRB, IAS MAINS न जाने कितनी परीक्षाओं की तैयारियों में आप लगे होंगे. पता नहीं आपके साथ कभी हुआ या नहीं.“तैयारी”शब्द से मुझे घृणा होने लगी थी. कोई भी पड़ोस से घर में आता और पूछता आप का बेटा क्या कर रहा है.माँ कहती “तैयारी” कर रहा है. मेरे पिताजी के मित्र अपने बेटे की बड़ी-बड़ी कंपनियों में प्लेसमेंट की खबर उन्हें सुनाते और उनसे पूछ डालते कि आप अपने बेटे की अपडेट नहीं बता रहे….वो क्या कर रहा है? फिर से वह तैयारी शब्द सामने आ जाता. मेरा बेटा “तैयारी” में जुटा है. “तैयारी” शब्द मेरे लिए सनी देओल द्वारा ऊँचे स्वर में बोले गए “तारीख पे तारीख” जैसी इरिटेटिंग हो गया था. अरे भाई,कौन-सी “तैयारी”, कैसी “तैयारी”….मैं खुद से पूछता. आखिर कब इन परीक्षाओं से पाला छूटेगा. होगा भी या नहीं?
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आखिरी अटेम्प्ट है. इन्हीं घबराहटों के साथ फिर से वही “तैयारी” में जुट जाता जो रुकने का नाम नहीं ले रही थी. कांपते हाथों से DI (data interpretation) और Maths को हल करता रहता. कॉपी पर लिखा हर अंक जैसे मानों मुझे कह रहा हो कि बेटा तू किस दिशा में जा रहा है? क्या यही तेरा भविष्य है? तू मुझे हल (solve) कर के क्या ख़ाक उखाड़ लेगा? इंग्लिश (English) भी तेरा इंतज़ार कर रही है. इंग्लिश पारकर लेगा तो जटिल GK और करंट देनेवाला करंट अफेयर्स तेरा बेड़ा गर्क कर देगा और इन सब के बावजूद तू अगर इंटरव्यू (interview) तक पहुँच गया, तो वहाँ बैठे दानव तेरी पढ़ाई की कुंडली को खंगाल कर तुझे कंगाल कर देंगे.
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यदि आपको आने वाले इग्जाम (exam) ने स्ट्रेस दे दिया है तो इसे पढ़ लें….(2)
.पहली बात तो ये कि यदि इस अप्रोच के साथ तैयारी में जुटे हो या आपके मन में ऐसा कुछ है कि अपने किसी दूर के परिवार के सदस्य या अपने पड़ोसी को सिर्फ दिखाने के लिए कि “हाँ मैं एक आईएएस (IAS) या बैंक पीओ (bank po) बन सकता हूँ”—- तो आप गलत रास्ते पर जा रहे हो. दूसरों की नज़र में खुद को प्रूव करना कोई बहादुरी नहीं, मूर्खता है. जिसके लिए आप प्रूव करने की सोच रहे हो, वो खुद नहीं चाहते कि आपकी नौकरी लगे या आपका कुछ अच्छा हो. उसके लिए प्रयास करना खुद को तंग करना है और समय की बरबादी है. तैयारी खुद को प्रूव करने के लिए जरुर कीजिये मगर इसे अपने भर तक सीमित रखिये. परीक्षा की तैयारी खूब जोर-शोर से कीजिये. आपको १०% भी लगे कि आप इस परीक्षा को निकाल सकते हैं तो अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं आने दें.
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१० घंटे पढ़ने से अच्छा है कि आप तीन से चार घंटा ही पढ़िए. मगर याद रखें, यह ३-४ घंटा सिर्फ आपका होना चाहिए. फुल फोकस होकर पढ़े और अपनी कमियों पर ध्यान दें. यदि आपका मैथ्स कमजोर (weak maths) है, तो उसे एवरेज लेवल (average level) तक लाइये और जिस विषय पर आपकी पकड़ ज्यादा है उसे और भी तगड़ा बनाइये ताकि ओवर ऑल मार्क्स अच्छा आये और सेक्शनल कट ऑफ (sectional cut-off) के जंजाल से आपको मुक्ति मिले. अपने कमजोर पक्ष को हमेशा औसत बनाने की कोशिश करें.
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बहुत लोग आपको यह सलाह देते होंगे कि आपका मैथ्स खराब है तो खूब मैथ्स पढ़ो. दिन-रात एक कर दो, सुधरेगा क्यों नहीं? पर मेरा मानना है, कि जो सब्जेक्ट कमजोर है उसे औसत बनाने का कोशिश कीजिये, वही आपके लिए पर्याप्त है. बाकी विषयों पर अधिक ध्यान दे कर उन्हें मजबूत करें. बेस्ट रिजल्ट (best result) अगर जल्दी नहीं आया, तो हताश न हों. धैर्य रखें. लगे रहें, जुटे रहें उस काम में.
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सभी के जीवन मेंडिस्टर्बेंस (disturbance) है. आपको दोस्तों से वाट्सएप (whatsapp) पर चिट-चैट करना है. शादी के मौसम में शादी भी अटेंड करनी है, आप भी पढ़ते-पढ़ते थकोगे और फिर हार मान लोगे, मन बदलेगा, खुद से कहोगे, नहीं अब और नहीं, अब नहीं पढ़ सकता, फिर से पढने बैठोगे…..भारत पाकिस्तान का मैच देखोगे, ज्यादा ही मैच में रूचि है तो टेस्ट मैच भी देख डालोगे, फेसबुक में लाल-लाल नोटिफिकेशन देखने में जो आनंद आता है वह इस बोरिंग किताब के काले-काले अक्षरों में कहाँ! क्यों? इसीलिए इन सब डिस्टर्बेंस को मन में बाँध के चलिए, चाहे दुनिया ही क्यूँ नहीं पलट जाए, आप इनसे दूर नहीं भाग सकते.
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कुछ लोग शिकायत बहुत करते हैं. मेरा मैथ्स अच्छा नहीं, मेरी इंग्लिश तो एक दम रद्दी है. पता नहीं कैसे होगा. इस बार तो उम्मीद कम ही है. मगर एक होशियार इंसान इन बातों से दूरी बनाए रखता है और प्रयास में लगा रहता है जब तक रिजल्ट पॉजिटिव (positive result) न हो जाए.
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कोचिंग (coaching) और सेल्फ स्टडी (self-study)दोनों का अपना-अपना महत्त्व है. कोचिंग में परीक्षा के पैटर्न का पता चलता है और पढ़ाई में एक नियमितता आती है. आप रोज कोचिंग जाते हो, अपने जैसे परीक्षार्थियों से मिलते हो, कुछ सीखने को मिलता है. वहीँ सेल्फ-स्टडी से अपनी कमजोरियों का पता चलता है. जब सवाल नहीं बनते तो आप उनसे जूझते हो, खुद को धिक्कारते हो, गलतियों को ढूँढ़ते हो. कहाँ कमी रह गयी, यह जाने का प्रयास करते हो जो कोचिंग में रहकर संभव नहीं.
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