शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

प्रथम सूचना रिपोर्ट( FIR ) किस प्रकार लिखी जाती है , यह जानना सभी के लिये महत्वपूर्ण है :
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हम सभी को जीवन में
कभी न कभी FIR लिखना
ही पड़ जाता है चाहे खुद
के लिये या किसी जानने
वाले के लिये।
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अक्सर लोगो की
शिकायत होती है कि
उनकी FIR थाने में नहीं
लिखी गई, या फिर
मजिस्ट्रेट के यहाँ FIR के
लिये किया गया आवेदन
निरस्त हो गया। इसके
कई कारण होते है किंतु
एक कारण ये भी होता है
की आपके लिखने के तरीके
से वह एक समान्य
निवेदन पत्र लगता है
और उससे कोई खास
अपराध नहीं लगता है।
जिस कारण से वह FIR में
न लिखकर डेली डायरी
में लिख दिया जाता है।
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FIR को कम से कम शब्दों
में स्पष्ट और पूरे मामले
को लिखना चाहिये
क्योंकि न्यायालय में
आपका केस इसी आधार
पर चलता है ।
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आप सभी को मैं आसान
भाषा में FIR को लिखने
का तरीका बताना
चाहूँगा क्योंकि अनेक
बार पढ़े लिखे लोग भी
FIR लिखने में गलती कर
देते है।
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सबसे पहले आप एक सादा
पेपर ले और उसपर 1 से 9
तक नंबर लिख ले, फिर
उन सभी के सामने " क"
लिख ले :
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अब मै आपको 9क के विषय
में बताना चाहूँगा की ये
9 (क) का क्या मतलब
होता है ।
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(1) कब (तारीख और
समय)- FIR में आप घटना
के समय और तारीख की
जानकारी लिखे ।
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(2) कहाँ (जगह)- घटना
कहाँ पे हुई इसकी
जानकारी दे।
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(3) किसने - अपराध किस
ब्यक्ति ने किया ( ज्ञात
या अज्ञात) एक या अनेक
ब्यक्ति उसका नाम पता
आदि लिखे ।
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(4) किसको - किस के
साथ अपराध किया गया
एक पीड़ित है या अनेक
उन सभी का नाम व
पता।
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(5) किसलिये - यह एक
मुख्य विषय होता है
इसीसे यह पता चलता है
की कोई कार्य अपराध
है या पुरस्कार देने के
लायक कार्य है, इसको
निम्न प्रकार समझ सकते
हैं-
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(अ) क एक ब्यक्ति ख पर
गोली चला देता है और ख
की मृत्यु हो जाता है,
यहाँ पर दोषी होगा।
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(ब) क एक ब्यक्ति ख पर
अपनी पिस्तौल तान
देता है और ख अपने बचाव
में क पर गोली चला देता
है जिससे क की मृत्यु हो
जाती है। ख हत्या का
दोषी नहीं है क्योंकि
अपनी आत्मरक्षा करते
हुवे अगर आप किसी की
जान भी ले लेते है तो आप
दोषी नहीं होंगे ।
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(स) क अपनी कार से ख
तो टक्कर मार देता है
और ख की मृत्यु हो जाती
है, क हत्या का दोषी
नहीं है बल्कि उसपर
दुर्घटना का केस चलेगा
और उसके हिसाब से दण्ड
मिलेगा।
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(द) क एक पुलिस कर्मी है
और वह आतंकवादी संगठन
के मुठभेड़ में एक या कई
आतंकवादियो को मार
देता है। क हत्या का
दोषी नहीं होगा बल्कि
उसे पुरस्कार दिया
जायेगा।
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इससे यह स्पष्ट होता है
की कोई भी कार्य तब
तक अपराध नहीं है जब
तक की दुराशय से न
किया गया हो।
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(6) किसके सामने
( गवाह)- अगर घटना के
समय कोई मौजूद हो तो
उनकी जानकारी अवश्य
देनी चाहिये।
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(7) किससे ( हथियार) -
अपराध करने के लिए
किन हथियार का
प्रयोग किया गया
( पिस्तौल , डंडे, रॉड,
चैन , हॉकी, ईट। अगर
कोई धोखाधड़ी का
मामला है तो आप
( स्टाम्प पेपर, लेटरहेड,
इंटरनेट , मोबाइल,
आदि,) जानकारी जरूर
प्रदान करे।
.
(8) किस प्रकार - क्या
प्रकरण अपनाया गया
अपराध् करने के लिये
उसको लिखे।
.
(9) क्या किया
( अपराध)- इनसभी को
मिलकर क्या किया गया
जो की अपराध होता है
उसको लिखे।
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इस प्रकार आप सभी
आसानी से FIR को लिख
सकते है ।
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अन्य जानकारी :
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FIR आप जहाँ घटना हुई है
उसके आलावा भी भारत
के किसी भी थाने में
जाकर आप FIR लिखा
सकते है।
.
FIR न लिखे जाने के कई
कारण होते है, मुख्यतः
क्राइम रेट अधिक न हो
इस कारण नहीं लिखी
जाती है ( जो की गैर
कानूनी कारण है) ।
दूसरा कारण अपराध की
सत्यता पर शक होता है
जिस कारण पुलिस FIR
लिखने से पहले जाँच
करना चाहते है।
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FIR लिखवाना आपका
अधिकार है (Sec 154 of
CrPC), अगर थाने में आप
की FIR नहीं लिखी
जाती है तो आप उनके
ऊपर के किसी भी
अधिकारी ( CO, SP,
SSP,) से FIR लिखने के
लिये बोल सकते है, और वे
1 या 2 दिन जाँच के लिये
लेकर संबंधित थाने में FIR
लिख दी जायेगी।
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अगर आपकी FIR थाने में
नहीं लिखी जाती है तो
आप मजिस्ट्रेट के पास
प्रार्थना पत्र दे सकते
है (Sec 156 [3] of
CrPC )और वे थाने से
मामले की जानकारी
माँग कर FIR दर्ज का
आदेश दे सकते है या आपके
प्रार्थना पत्र को
निरस्त भी कर सकते है ,
यह कोर्ट ( जज ) के
विवेकाधिकार पर
निर्भर है ।
...........................Young social activist and thinkers Amit Katheriya



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