शनिवार, 19 अगस्त 2017

रामायण काल में धानुक समाज की स्थिति--
1.
आर्यों का मुख्य शस्त्र धनुषबाण था। भगवान रामचन्र्द धनुष चलाने में सिध्दहस्त थे। इसलिये उन्हें वीर धनुर्धारी भी कहा गया है।

2.
अयोध्या की एक व्यवसायिक जाति धनुषधारी थी। जिसका कार्य युद्ध भूमि में लड़ना एवं किलों की रक्षा करना था।

3.
भगवान शिव धानुकों के भगवान हैं क्योंकि उन्होंने सर्वप्रथम धनुषबाण राजा पृथु, राजा धनक आदि को प्रदान कैया था।

3.
ऋग्वेद में उल्लेख है कि धानक आदिवासी जाती थी

महाभारत काल
1.
युद्ध मूमि में लड़ने वाले धानका कहलाते थे।
2.
महाभारत काल में एकलव्य एवं गुरू द्रोणाचार्य की कहानी प्राप्त होती है, जो कि धनुष विद्धा के ज्ञाता थे।
3.
दुर्योधन ने धनुर्धारियों की एक विशाल सेना बनाई थी।(जिन्हें धनुर्धर कहा जाता थाय) महाभारत काल मे धानुक जाति के दो ऋषि हुए हैं:- उपारिचारा, एवं मेधाविक ।
तैतरेय संहिता में उल्लेख किया गया है कि समाज में धनुकारों एवं इषुकारों का एक पृथक वर्ग था जिसका कार्य धनुष बान का निर्माण करना था । इसि धनुकार शब्द का अपभ्रंश होकर धानुक शब्द बना, जिसका अर्थ है धनुष बनाना वाले।

AMIT KATHERIYA 

1 टिप्पणी:

  1. ए सारा फोटो आपने हमारा लीए कोई बात नहीं पर उसपर अपना नाम लीखकर आप क्या साबित करना चाहतें है अमीत जि

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