चाणक्य द्वारा जब राजा नंद को गद्दी से हटाने का संकल्प लिया
गया था, तब उनके पास चन्र्दगुप्त के
समर्थन में कोई सेना नहीं थी।
विद्धान चाणक्य द्वारा समस्त सैनिक पाटलीपुत्र के बाहर से एकत्रीत किये गये थे।
उनमें भी प्रमुख रूप से उत्तर- पश्चिम म.प्र. के वीर धानुक सैनिक थे, जिन्होंने चन्र्दगुप्त के नेतृत्व में युद्ध कर राजा नंद को परास्त किया और वहिं बस गये।
आज भी बिहार एवं नेपाल कि तराई में सर्वाधिक धानुक जाती के लोग पाये जातें है, जो कि वीर एवं कुशल प्रशासक अच्छे साहित्यकार हैं।
बिहार मे धानुक समाज के अनेक लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिए एवं अपने प्राणों की आहुति दी है ।
विद्धान चाणक्य द्वारा समस्त सैनिक पाटलीपुत्र के बाहर से एकत्रीत किये गये थे।
उनमें भी प्रमुख रूप से उत्तर- पश्चिम म.प्र. के वीर धानुक सैनिक थे, जिन्होंने चन्र्दगुप्त के नेतृत्व में युद्ध कर राजा नंद को परास्त किया और वहिं बस गये।
आज भी बिहार एवं नेपाल कि तराई में सर्वाधिक धानुक जाती के लोग पाये जातें है, जो कि वीर एवं कुशल प्रशासक अच्छे साहित्यकार हैं।
बिहार मे धानुक समाज के अनेक लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिए एवं अपने प्राणों की आहुति दी है ।
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