शनिवार, 24 अक्टूबर 2020

दृष्टि कोचिंग नोट्स-Drishti Coaching

(संख्या 1 से 11 तक पुराने नोटस है पर यूज़फुल है)

(संख्या 12 से 15 तक न्यू नोटस है- Ethics+ Governance+Internal security+Medieval History)

1. Citizen charter

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2. Important political philosophies

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3.Indian Society

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4.Geography

https://drive.google.com/.../0B.../view...

5.Art & Culture

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6.Modern History

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7.Sci & Tech.

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8.Quasi judicial Institutions

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9.Internal security

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10.Ministry & their functioning

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11.World History

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12.Notes on Med. history

Unit.1

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Unit.2

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Unit.3

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Unit.4

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Unit.5

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Unit.6

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Unit.7

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Unit.8

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Unit.9

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Unit.10

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13. Ethics

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14. Ethics

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15. E-Governance & Internal security

1. E- Governance

Unit.1

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Unit.2

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Unit.3

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Unit.4

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Unit.5

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Unit.6

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Unit.7

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Unit.8

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Download Drishti notes on Internal Security

Unit-1.

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Unit-2.

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Unit.3

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Unit.4

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Unit.5

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Unit.6

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Unit.7

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Unit.8

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   C/P ......................AMIT KATHERIYA

सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

सूचना का अधिकार

#सूचना_का_अधिकार (RTI)

* सूचना का अधिकार यानी राइट टू इंफॉर्मेशन (RTI) भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक कानून है

* इस कानून के तहत देश के हर नागरिक को सरकार की पॉलिसी और अन्य गतिविधियों व सूचना की जानकारी मांगने का हक दिया जाता है

* RTI भारत की संसद द्वारा पारित एक कानून है जो 12 अक्टूबर 2005 को लागू हुआ

* RTI हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह

> सरकार से कोई भी सवाल पूछ सके या कोई भी सूचना ले सके

> किसी भी सरकारी दस्तावेज की प्रमाणित प्रति ले सके

> किसी भी सरकारी दस्तावेज की जांच कर सके

> किसी भी सरकारी काम में इस्तेमाल सामग्री का प्रमाणित नमूना ले सके

* इस कानून का मकसद सरकारी महकमों की जवाबदेही तय करना होता है और ट्रांसपेरेंसी लाना होता है ताकि करप्शन पर अंकुश लग सके

* इस कानून का उपयोग सिर्फ भारतीय नागरिक ही कर सकते हैं

* इस कानून में निगम यूनियन कंपनी वगैरह को सूचना देने का प्रावधान नहीं है क्योंकि यह नागरिक की परिभाषा में नहीं आते

* अगर आपके बच्चों के स्कूल के टीचर अक्सर गैरहाजिरी रहते हो, आपके आसपास की सड़के खराब हालात में हो, सरकारी अस्पतालों या हेल्थ सेंटर में डॉक्टर या दवाइयां ना हो, अफसर काम के नाम पर रिश्वत मांगे या फिर राशन की दुकान पर राशन ना मिले तो आप RTI के तहत ऐसी सूचना पा सकते हैं

* नागरिक डिस्क, टेप, वीडियो कैसेट या किसी और इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट आउट के रूप में भी सूचना मांग सकते हैं बशर्ते यह सूचना पहले से ही इस रूप में मौजूद हो

* RTI के तहत आने वाले विभाग

> राष्ट्रपति प्रधानमंत्री राज्यपाल और मुख्यमंत्री का दफ्तर

> संसद और विधानमंडल

> चुनाव आयोग

> सभी अदालतें

> तमाम सरकारी दफ्तर

> सभी सरकारी बैंक और अस्पताल

> पुलिस महकमा और सेना के तीनों अंग

> पीएसयू

> सरकारी फोन कंपनियां

> सरकारी बीमा कंपनियां

> सरकार से फंडिंग पाने वाले NGO

* खुफिया एजेंसी या ऐसी जानकारियां जिसके सार्वजनिक होने से देश की सुरक्षा और अखंडता को खतरा हो साथ ही दूसरे देशों के साथ भारत से जुड़े मामले RTI के तहत नहीं आते हैं

* सूचना का अधिकार प्राप्त करने के लिए कुछ शुल्क भी देनी होती है जो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग निर्धारित है

* आवेदक को सूचना मांगने के लिए कोई वजह या पर्सनल ब्यौरा देने की जरूरत नहीं होती है

* एप्लीकेशन में फोन या मोबाइल नंबर देना जरूरी नहीं होता

* एप्लीकेशन आप किसी भी सादे कागज पर हाथ से लिखकर या टाइप करा कर अधिकारी के पास जमा करा सकते हैं

* एप्लीकेशन हिंदी अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में लिखा जा सकता है

* एप्लीकेशन में लिखना होता है कि क्या सूचना चाहिए और कितनी अवधि की सूचना चाहिए

* गरीबी रेखा के नीचे की कैटेगरी में आने वाले आवेदक को किसी भी तरह का फीस नहीं देना होता

* अगर सूचना ना मिले या प्राप्त सूचना से आप संतुष्ट ना हो तो अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19 (1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है 


....... अमित कठेरिया

सोमवार, 5 अक्टूबर 2020

 

              नार्को टेस्ट क्या होता है और इसे कैसे किया जाता है ?

https://katheriyadhanuksamaj.blogspot.com/

Narco Test: नार्को टेस्ट में अपराधी या किसी व्यक्ति को ट्रुथ ड्रग नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या फिर सोडियम पेंटोथोल का इंजेक्शन लगाया जाता है. इस दवा का असर होते ही व्यक्ति ऐसी अवस्था में पहुँच जाता है जिसमें व्यक्ति पूरी तरह से बेहोश भी नहीं होता और पूरी तरह से होश में भी नहीं रहता है.

पुलिस विभाग में एक कहावत है कि "पुलिस की मार के आगे, गूंगा भी बोलने लगता है", लेकिन यह कहावत कभी-कभी ठीक सिद्ध नहीं होती है. ऐसी परिस्थिति में पुलिस अन्य तरीकों का सहारा लेती है. इसी एक तरीके में शामिल है

नार्को टेस्ट क्या होता है? (What is Narco Test)

इस टेस्ट को अपराधी या आरोपी व्यक्ति से सच उगलवाने के लिए किया जाता है. इस टेस्ट को फॉरेंसिक एक्सपर्ट, जांच अधिकारी, डॉक्टर और मनोवैज्ञानिक आदि की मौजूदगी में किया जाता है.

नार्को टेस्ट (Narco Test) के अंतर्गत अपराधी को कुछ दवाइयां दी जाती है जिससे उसका सचेत दिमाग सुस्त अवस्था में चला जाता है और अर्थात व्यक्ति को लॉजिकल स्किल थोड़ी कम पड़ जाती है. कुछ अवस्थाओं में व्यक्ति अपराधी या आरोपी बेहोशी की अवस्था में भी पहुँच जाता है. जिसके कारण सच का पता नहीं चल पाता है.

यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि ऐसा नहीं है कि नार्को टेस्ट (Narco Test) में अपराधी/आरोपी हर बार सच बता देता है और केस सुलझ जाता है. कई बार अपराधी/आरोपी ज्यादा चालाक होता है और टेस्ट में भी जांच करने वाली टीम को चकमा दे देता है.

नार्को टेस्ट करने से पहले व्यक्ति का परीक्षण;

किसी भी अपराधी/आरोपी का नार्को टेस्ट करने से पहले उसका शारीरिक परीक्षण किया जाता है जिसमें यह चेक किया जाता है कि क्या व्यक्ति की हालात इस टेस्ट के लायक है या नहीं. यदि व्यक्ति; बीमार, अधिक उम्र या शारीरिक और दिमागी रूप से कमजोर होता है तो इस टेस्ट का परीक्षण नहीं किया जाता है.

व्यक्ति की सेहत, उम्र और जेंडर के आधार पर उसको नार्को टेस्ट की दवाइयां दी जाती है. कई बार दवाई के अधिक डोज के कारण यह टेस्ट फ़ैल भी हो जाता है इसलिए इस टेस्ट को करने से पहले कई जरुरी सावधानियां बरतनी पड़तीं हैं.

कई केस में इस टेस्ट के दौरान दवाई के अधिक डोज के कारण व्यक्ति कोमा में जा सकता है या फिर उसकी मौत भी हो सकती है इस वजह से इस टेस्ट को काफी सोच विचार करने के बाद किया जाता है.

नार्को टेस्ट कैसे किया जाता है? (How is Narco Test Conducted)

इस टेस्ट में अपराधी या किसी व्यक्ति को "ट्रुथ ड्रग" नाम की एक साइकोएक्टिव दवा दी जाती है या फिर " सोडियम पेंटोथल या सोडियम अमाइटल" का इंजेक्शन लगाया जाता है.

इस दवा का असर होते ही व्यक्ति ऐसी अवस्था में पहुँच जाता है. जहां व्यक्ति पूरी तरह से बेहोश भी नहीं होता और पूरी तरह से होश में भी नहीं रहता है. अर्थात व्यक्ति की तार्किक सामर्थ्य कमजोर कर दी जाती है जिसमें व्यक्ति बहुत ज्यादा और तेजी से नहीं बोल पाता है. इन दवाइयों के असर से कुछ समय के लिए व्यक्ति के सोचने समझने की छमता खत्म हो जाती है.

इस स्थिति में उस व्यक्ति से किसी केस से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. चूंकि इस टेस्ट को करने के लिये व्यक्ति के दिमाग की तार्किक रूप से या घुमा फिराकर सोचने की क्षमता ख़त्म हो जाती है इसलिए इस बात की संभावना बढ़ जाती कि इस अवस्था में व्यक्ति जो भी बोलेगा सच ही बोलेगा.

नार्को टेस्ट के लिए कानून: (Laws for the Narco Test)

वर्ष 2010 में K.G. बालाकृष्णन वाली 3 जजों की खंडपीठ ने कहा था कि जिस व्यक्ति का नार्को टेस्ट या पॉलीग्राफ टेस्ट लिया जाना है उसकी सहमती भी आवश्यक है. हालाँकि सीबीआई और अन्य एजेंसियों को किसी का नार्को टेस्ट लेने के लिए कोर्ट की अनुमति लेना भी जरूरी होता है.

ज्ञातव्य है कि झूठ बोलने के लिए ज्यादा दिमाग का इस्तेमाल होता है जबकि सच बोलने के लिए कम दिमाग का इस्तेमाल होता है क्योंकि जो सच होता है वह आसानी से बिना ज्यादा दिमाग पर जोर दिए बाहर आता है लेकिन झूठ बोलने के लिए दिमाग को इस्तेमाल करते हुए घुमा फिरा के बात बनानी पड़ती है.

इस टेस्ट में व्यक्ति से सच ही नहीं उगलवाया जाता बल्कि उसके शरीर की प्रतिक्रिया भी देखी जाती है. कई केस में सिर्फ यहीं पता करना होता है कि व्यक्ति उस घटना से कोई सम्बन्ध है या नहीं. ऐसे केस में व्यक्ति को कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लिटाया जाता है और उसे कंप्यूटर स्क्रीन पर विजुअल्स दिखाए जाते हैं.

पहले तो नार्मल विजुअल्स जैसे पेड़, पौधे, फूल और फल इत्यादि दिखाए जाते हैं. इसके बाद उसे उस केस से जुड़ी तस्वीर दिखाई जाती है फिर व्यक्ति की बॉडी को रिएक्शन चेक किया जाता है. ऐसी अवस्था में अगर दिमाग और शरीर कुछ अलग प्रतिक्रिया देता है तो इससे पता चल जाता है कि व्यक्ति उस घटना या केस से जुड़ा हुआ हैं.

यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि नार्को टेस्ट की सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं? आपने देखा होगा कि "तलवार" मूवी में भी आरोपियों का नार्को टेस्ट किया जाता है और जब उस टेस्ट का क्रॉस एग्जामिनेशन होता है तो पाया जाता है कि टेस्ट में जिस तरह के प्रश्न पूछे गए थे वे 'पहले से तय रिजल्ट' के अनुसार ही पूछे गये थे.

इस प्रकार नार्को टेस्ट के बारे में यह कहा जा सकता है कि यह टेस्ट कई मुश्किल मामलों में पुलिस और सी.बी.आई को सुराख़ अवश्य देता है लेकिन यह कहना कि 100% सच सामने आ जाता है

................अमित कठेरिया

 

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योग की कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए

1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है। 2. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है । 3. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन ...