सोमवार, 15 जुलाई 2019

🙏कृप्या समय निकाल कर पढ़े बहुत ही अच्छी ज्ञानवर्धक पोस्ट है🙏

*रात्रि 11 से 3 के दौरान आपके रक्त संचरण का अधिक भाग लीवर की ओर केन्द्रित होता है | जब लीवर अधिक खून प्राप्त करता है तब उसका आकार बढ़ जाता है | यह महत्त्वपूर्ण समय होता है जब आपका शरीर विष हरण की प्रक्रिया से गुजरता है | आपका लीवर, शरीर द्वारा दिन भर में एकत्रित विषाक्त पदार्थों को निष्क्रिय करता है और खत्म भी करता है |*
*💁🏻‍♀ यदि आप 11बजे सो जाते हैं तो आपके पास अपने शरीर को विषमुक्त करने के लिए पूरे चार घण्टे होते हैं |*
*यदि 12 बजे सोते हैं तो 3 घण्टे |*
*💁🏻‍♀ यदि 1बजे सोते हैं तो 2 घण्टे |*
*💁🏻‍♀ यदि 2 बजे सोते हैं तो केवल एक ही घण्टा विषाक्त पदार्थों की सफाई के लिए मिलता है |*
*💁🏻‍♀ अगर आप 3 बजे के बाद सोते हैं ? दुर्भाग्य से आपके पास शरीर को विषमुक्त करने के लिए कोई समय नहीं बचा | यदि आप इसी तरह से सोना जारी रखते हैं, समय के साथ ये विषाक्त पदार्थ आपके शरीर में जमा होने लगते हैं |*
*💁🏻‍♀ क्या आप कभी देर तक जागे हैं? क्या आपने महसूस किया है कि अगले दिन आपको बहुत थकान होती है, चाहे आप कितने भी घण्टे सो लें ?*
*💁🏻‍♀ शरीर को विषमुक्त करने का पूरा समय न देकर आप शरीर की कई महत्त्वपूर्ण क्रियाओं से भी चूक जाते हैं |*
*💁🏻‍♀ प्रात: 3 से 5 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपके लंग्स होते हैं |*
*👉🏻 इस समय आपको ताज़ी हवा में साँस लेना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए | अपने शरीर में अच्छी ऊर्जा भर लेनी चाहिए, किसी उद्यान में बेहतर होगा | इस समय हवा एकदम ताज़ी और लाभप्रद अयनों से भरपूर होती है |*
*💁🏻‍♀ प्रात: 5 से 7 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपकी बड़ी आँत की ओर होता है | आपको इस समय शौच करना चाहिए | अपनी बड़ी आँत से सारा अनचाहा मल बाहर कर देना चाहिए | अपने शरीर को दिन भर ग्रहण किए जाने वाले पोषक तत्वों के लिए तैयार करें |*
*💁🏻‍♀ सुबह 7 से 9 के बीच रक्त संचरण का केन्द्र आपका पेट या अमाशय होता है | इस समय आपको नाश्ता करना चाहिए | यह दिन का सबसे जरूरी आहार है | ध्यान रखें कि इसमें सारे आवश्यक पोषक तत्त्व हों | सुबह नाश्ता न करना भविष्य में कई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का कारण बनता है |*
*👉🏻 तो आपके पास अपने दिन की शुरुआत करने का आदर्श तरीका आ गया है l अपने शरीर की प्राकृतिक जैविक घड़ी का अनुसरण करते ~ अपनी प्राकृतिक दिनचर्या का पालन करें |*
*🙏🏼स्वस्थ रहें, व्यस्त रहें, मस्त रहें।🙏🏼* .................. AMIT KATHERIYA
🍸पानी के ज़रिये इलाज 🍸
प्राकृतिक पैथी के डॉक्टरों ने पानी के ज़रिये इन बीमारियों का इलाज किया है।
1 लकवा(Paralysis)
2 बेहोशी
3 ब्लड कोलेस्ट्रोल
4 सर का दर्द(headache)
5 ब्लड प्रेशर
6 बलग़म (phlegm)
7 खांसी(cough)
8 दमा (asthama)
9 टीबी (Tuberculosis)
10 मेनन जॉइंटिस ( JAUNDICE)
11 जिगर(Liver)की बीमारी
12 पेशाब की बीमारियाँ
13 तेज़बियत(acidity)
14 पेट की गैस
15 पेट में मरोड़ (colic)
16 क़बज़ ( Constipation)
17 डायबिटीज
18 बवासीर (Piles)
19 आँख की बीमारियाँ
20 हैज़ (औरतों के period आना)
21 बच्चे दानी (womb;uterus) का कैंसर
22 नाक व गले की बीमारियाँ
पानी पीने का तरीका
बिना मुंह धोए और बिना कुल्ली किए नहार मुहं 1250ml मतलब 4 बड़े गिलास पानी संभव हो तो जमीन पर पालथी में बैठकर एक साथ पी जाएँ।
अब 45 mint तक कुछ भी ना खाएं पीयें ।
अगर शुरू(starting)में 4 गिलास पानी नहीं पी सकते हैं तो 1 या 2 गिलास से शुरू करें। धीरे धीरे बढ़ा कर 4 गिलास कर दें। मरीज़ ठीक होने के लिए और जो मरीज़ ना हो वह fit रहने के लिए यह इलाज का तरीका अपनाये।
Doctors का कहना है कि इस इलाज(इस तरीके से पानी पीने)से निम्नलिखित बीमारियाँ बताये हुए दिनों में ठीक हो सकती हैं।
1 क़बज़ (मलावरोध Constipation) 2 दिन
2 गैस की बीमारियाँ 2 दिन
3 diabetes(शूगर)1 हफ्ता
4 उच्च रक्त चाप(high blood pressure) 1 महिना
5 कैंसर 1 महिना
टीबी(tuberculosis) 3 महिना
6 बड़े गिलास पानी एक साथ पीने से कोई नुक़सान(side effects) नहीं होता हाँ पेट ज़रूर भर जाता है। 45 mint के बाद भूख लग जाएग
🌴🌴 यह संदेश आप पढने के बाद आगे किसी को नहीं भेजेगें तो कोई नुक्सान नहीं होने वाला किंतु यदि आप आगे forward करते हैं तो हो सकता है कि किसी को लाभ मिल जाए l 🌴🌴

प्रकार्तिक चिकित्सक
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* ठण्डे पानी के साथ गोलियाँ न लेवें ।
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* सांय पाँच बजे के बाद भारी भोजन का सेवन न करें ।
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* हमेशा! सुबह ज़्यादा पानी पीयें, व रात के समय कम ।
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* सोने का सबसे अच्छा समय रात के दस बजे से सुबह चार बजे तक होता
है ।
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* दवाईयां खाना लेने के बाद तुरन्त न लेवें
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एक अच्छे संदेश से सभी को अवगत
करवाना हँसी मज़ाक़ के 100 संदेश भेजने से अच्छा है ।
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यह सभी के लिये उपयोगी है।
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ज्ञान बडा महत्वपूर्ण है जितना
बाटोगे उतना बडेगा
👏👏👏👏👏कृपया अपने परिचितों ,दोस्तो ,रिस्तेदारों को अवश्य अवगत कराये........................................... AMIT KATHERIYA

बुधवार, 3 जुलाई 2019

*स्मरणशक्ति विकसित करने के लिए*
*दिमाग हमारे शरीर को वो हिस्सा है जिसके संकेत के बिना शरीर का कोई भी अंग काम नहीं कर सकता। अपने आहार में कुछ विशेष जड़ी-बूटियों को शमिल करके आप अपने दिमाग को तेज कर सकते हैं।*
*बहुत से लोग दिमाग की शक्ति बढ़ाने के लिए मेडिसिन और मल्टीविटामिन खाते है पर कुछ घरेलू उपायों के प्रयोग से हम अपना और छोटे बच्चों का mind sharp और active बना सकते है और ये उपाय करने से मानसिक तनाव भी कम होता है।*
उपचार :
१. याद्दाश्त कमजोर होने पर 7 बादाम को शाम को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह छिलका उतार कर बारीक पीसकर खाएं एवं ऊपर से गर्म दूध पीएं। इससे याद्दाश्त की वृद्धि होती है। यदि रोगी की आंखें भी कमजोर हों तो बादाम में 4 कालीमिर्च भी पीसकर रख दें और 250 मिलीलीटर दूध में मिलाकर 3 बार उबलने तक पकाएं। फिर इसमें एक चम्मच देशी घी और 2 चम्मच बूरा या चीनी मिलाकर पीने से दिमाग और बुद्धि की कमजोरी दूर होती है और याद्दाश्त बढ़ती है।
२. बादाम की गिरी को चंदन की तरह पीसकर खाने से बादाम आसानी से पच जाता है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
बादाम की 10 गिरी को रात को भिगोकर रख दें और सुबह इसके छिलके उतारकर लगभग 12 ग्राम मक्खन और मिश्री मिलाकर खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और भूलने की आदत खत्म होती है।
३. लगभग 10-10 ग्राम बादाम, सौंफ और मिश्री को पीसकर रात को सोते समय गर्म दूध के साथ लेने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।
४. बादाम की गिरी और सौंफ बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और रात को सोते समय ठंड़े पानी से लेने से याद्दाश्त बढ़ती है।
५. लगभग 15-15 ग्राम सोंठ, नागरमोथा और कुन्दरू की गोंद को पीसकर 3 ग्राम बीज निकले मुनक्के के साथ सुबह-शाम एक हफ्ते तक खाने से व्यक्ति की याद्दाश्त मजबूत होती है।
६. याद्दाश्त की कमजोरी होने पर 100 ग्राम सोंठ को पीसकर इसमें 5 ग्राम घी मिलाकर हल्के गर्म दूध या पानी के साथ सुबह खाली पेट लेने से बहुत लाभ मिलता है।
७. भोजन करने से 15 मिनट पहले एक या दो सेब छिलके समेत खाने से दिमाग और स्नायु की कमजोरी दूर होती है।
40 दिनों तक गेहूं के नए पौधों का रस पीने से बुद्धि का विकास होता है।
८. लीची, नारियल और पिस्ता खाने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।
९. अखरोट की बनावट हमारे दिमाग की तरह होती है इसलिए अखरोट खाने से दिमाग की शक्ति बढ़ती है और याद्दाश्त मजबूत होती है।
50 ग्राम इलायची और 25 ग्राम वंशलोचन को मिलाकर बारीक पीसकर इसमें ब्राह्मी का रस या कबाबचीनी के साथ आधे-आधे चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार लेने से स्मरणशक्ति और बुद्धि तेज होती है।
१०. बच के तने का चूर्ण बनाकर पानी, दूध और घी के साथ आधे ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार कम से कम एक महीने तक लेने से स्मरणशक्ति बढ़ती है।
11. 10 ग्राम बच के चूर्ण को 250 ग्राम बूरे के साथ पाक बनाकर नियमित 10-10 ग्राम सुबह-शाम खाने से भूलने की बीमारी समाप्त होती है।
12. लगभग 75 ग्राम सौंफ, लगभग 15 ग्राम रूमीमस्तंगी और लगभग 75 ग्राम बादाम की गिरी को पीसकर 10 मिलीलीटर गर्म दूध या पानी के साथ रात को सोते समय लेने से भूलने की बीमारी दूर होती है और याद्दाश्त मजबूत होती है।
१३. सौंफ को कूटकर इसकी मींगी निकालकर 1-1 चम्मच सुबह-शाम ठंड़े पानी या गर्म दूध से लेने से याद्दाश्त बढ़ती है और दिमाग की कमजोरी खत्म होती है।
१४. बरगद की छाल जो छाया में सुखाई गई हो उसके बारीक पॉउडर में दुगनी चीनी या मिश्री मिलाकर 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से याद्दाश्त की कमजोरी दूर होती है। खट्टे पदार्थों से परहेज रखना चाहिए।
१५. बादाम को मिलाकर तैयार किये गये दूध को सुबह खाली पेट पीने और 2 घंटे तक कुछ न खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
१६. लगभग 2 ग्राम की मात्रा में कलौंजी को पीसकर 2 ग्राम शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने से याद्दाश्त मजबूत होती है।
१७. आधा भोजन करने के बाद हरे आंवलों का 35 मिलीलीटर रस पानी मिलाकर पीने के बाद आधा भोजन करने से हृदय तथा मस्तिष्क सम्बन्धी दुर्बलता दूर होकर स्वास्थ्य सुधरता है।
१८. प्रतिदिन सुबह आंवले के मुरब्बे का सेवन करने से याद्दाश्त बढ़ती है।
१९. लगभग 8 कालीमिर्च को पीसकर लगभग 30 ग्राम मक्खन और चीनी मिलाकर चाटने से दिमाग में ताजगी आ जाती है और दिमाग की कमजोरी दूर होती है।
२०. रात को सोते समय लगभग 60 ग्राम उड़द की दाल को पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस दाल को पीसकर दूध और मिश्री मिलाकर पीएं। इससे याद्दाश्त मजबूत होती है और दिमाग की कमजोरी खत्म होती है।
२१. आधा लीटर पानी में लगभग 125 ग्राम धनिये को उबालें और जब पानी एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इसमें 125 ग्राम मिश्री मिलाकर गाढ़ा होने तक गर्म करके रख लें। यह प्रतिदिन 10 ग्राम की मात्रा में चाटने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और बुद्धि का विकास होता है।
२२. गुड़हल के फूलों और पत्तों को सुखाकर एक साथ पीसकर शीशी में भरकर रख लें। यह चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम एक कप मीठे दूध के साथ खाने से यौनशक्ति और स्मरणशक्ति बढ़ती है।
२३. सूखी ब्राह्मी 10 ग्राम, बादाम की 1 गिरी और 3 ग्राम कालीमिर्च को पानी से पीसकर 3-3 ग्राम की टिकिया बना लें। यह 1-1 टिकिया प्रतिदिन सुबह-शाम दूध के साथ देने से मस्तिष्क को ताकत मिलती है।
२४. 3 ग्राम ब्राह्मी, शंखपुष्पी 3 ग्राम, बादाम गिरी 6 ग्राम, छोटी इलायची के बीज 3 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को थोड़े-से पानी में घोलकर मिश्री मिलाकर पीने से खांसी, पित्त बुखार और पागलपन में लाभ मिलता है।
२५. ब्राह्यी के ताजे रस और घी बराबर मात्रा में लेकर शुद्ध घी में मिलाकर सेवन करने से दिमाग को ताकत मिलती है।
२६. सोयाबीन में फास्फोरस काफी मात्रा में होती है जिससे मस्तिष्क व ज्ञान-तंतुओं की बीमारियां जैसे- मिर्गी, हिस्टीरिया, स्मरणशक्ति की कमजोरी, सूखा रोग और फेफड़ों से सम्बन्धी बीमारियां आदि ठीक होती हैं। सोयाबीन के आटे में लसीथिन नामक एक पदार्थ तपेदिक और ज्ञान-तंतुओं की बीमारी में बहुत लाभ पहुंचता है।
२७. तेजपत्ता ´एसिटिल्को लाइनैस्टेरै´ नामक खतरनाक एंजाइम के उत्पादन को रोकता है जो मस्तिष्क के सन्देश वाहक हार्मोन एसिटिल्कोलाइन को तोड़ने का काम करता है। तेजपत्तों का उपयोग प्रतिदिन खाद्य पदार्थों के साथ करने से याद्दाश्त (स्मरणशक्ति) बढ़ती है और `अल्जाइमर्स´ बीमारी पर नियंत्रण रहता है।
२८. गर्मी में 3 ग्राम शंखपुष्पी के चूर्ण को दूध या मिश्री की चासनी के साथ प्रतिदिन 3-4 हफ्ते तक लेने से बुद्धि का विकास होता है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
२९. लगभग 10 ग्राम हरी शंखपुष्पी को घोटकर दूध में मिलाकर पीने से याद्दाश्त(yadshakti) की कमजोरी दूर होती है।
३०. लगभग 50 ग्राम शंखपुष्पी, लगभग 50 ग्राम असगंध और इतनी ही मात्रा में ब्रह्मबूटी को मोटा-मोटा कूटकर लगभग डेढ़ किलो पानी में उबालें और जब यह पानी एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इसमें 600 मिलीलीटर अंगूर का रस और 300 ग्राम खांड डालकर फिर से उबालें और एक चौथाई रह जाने पर इसे उतारकर ठंडा करके भोजन करने के बाद 4 चम्मच की मात्रा में सेवन करें। इससे बुद्धि का विकास होता है और भूलने की आदत खत्म होती है।
३१. लगभग 200 शंखपुष्पी के पंचांग के चूर्ण में 200 ग्राम मिश्री और 30 ग्राम कालीमिर्च मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम प्रतिदिन एक कप दूध के साथ सेवन करने से स्मरण शक्तिyadshakti) बढ़ती है।
३२. प्रतिदिन सुबह-शाम 4-4 चम्मच अंगूर का रस पानी के साथ मिलाकर भोजन के बाद लेने से बुद्धि(buddhi) का विकास होता है और याद्दाश्त मजबूत होती है।
३३. लगभग 500 मिलीलीटर दूध में 125 मिलीलीटर गाजर का रस (जूस) मिलाकर सुबह बादाम खाने के बाद लेने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
३४. गाजर का हलवा 2 महीने तक लगातार खाने से याद्दाश्त मजबूत होती है।
३५. लगभग एक कप आम का रस, एक चम्मच अदरक का रस और चौथाई कप दूध में स्वादानुसार चीनी मिलाकर पीने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है। इससे दिमाग की कमजोरी के कारण होने वाला सिर दर्द भी दूर हो जाता है।
३६. तिल और गुड़ बराबर मात्रा में मिलाकर लड्डू बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम खाकर ऊपर से दूध पीने से दिमाग की कमजोरी के साथ मानसिक तनाव दूर होता है क्योंकि तिल में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
३७. बराबर मात्रा में दालचीनी और मिश्री लेकर पीसकर चूर्ण बनाकर 3-4 ग्राम दूध के साथ लेने से दिमाग की कमजोरी दूर होती है और भूलने की बीमारी दूर हो जाती है।
३८. गुलाब का गुलकन्द प्रतिदिन 2-3 बार 3 चम्मच खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है। गुलाब का तेल लगाने से दिमाग ठंडा रहता है।
३९.पीपल के पेड़ के हरे कोमल पत्ते को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण के बराबर मिश्री मिलाकर आधे-आधे चम्मच दिन में 2 बार दूध के साथ सेवन करें। इससे स्मरणशक्ति बढ़ती है और मिर्गी, बेहोशी, पागलपन, वहम व जुकाम, सिर दर्द आदि दूर होता है।
४०. टमाटर दिमागी कमजोरी और चिड़चिड़ापन को नष्ट करता है। यह मानसिक थकान दूर कर मस्तिष्क को संतुलित बनाए रखता है। अत: मानसिक कमजोरी को दूर करने के लिए टमाटर प्रतिदिन खाना चाहिए।
४१. लगभग 10 तुलसी के पत्ते, लगभग 5 बादाम और 5 कालीमिर्च को पीसकर थोड़े से शहद और पानी में मिलाकर ठंड़ाई की तरह बनाकर पीने से दिमाग की ताजगी के साथ-साथ दिमाग की कमजोरी भी दूर हो जाती है।
४२. तुलसी के पत्ते नियमित रूप से सेवन करने से बुद्धि का विकास होता है
४३ पंचगव्य नासिक धृत या पुराना देशी गाय का घी नियमित नाक में डालने से लगभग 23 रोग नष्ट होते है।
४४ पथरी की शिकायत न हो तो गेहुँ के दाने के बराबर चुना दूध छोड़कर किसी भी तरल पेय में
इस चुने के सेवन से लगभग 70 रोग जड़मूल से नष्ट होते हैं
भुलक्कड़पन (याददाश्त कमजोर होना) Forgetfulness
परिचय- किसी दुर्घटना के कारण या चोट लग जाने के कारण मनुष्य के शरीर के साथ-साथ उसके दिमाग पर भी असर पड़ता है। इससे उसकी बुद्धि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और उसकी याददाश्त कमजोर हो जाती है और वह छोटी-छोटी बातों को भी भूलने लगता है।
कारण : शरीर की कमजोरी, अधिक मात्रा में वीर्य नष्ट होना, अति चंचलता और अधिक कामवासना या संभोग करने के कारण स्मरण शक्ति या याददाश्त कमजोर हो जाती है।
विभिन्न औषधियों से चिकित्सा :-
1. ऐसिड फॉस :-
रोगी को मानसिक-कमजोरी (मेंटल डिबीलिटी) हो तथा शारीरिक कमजोरी भी हो और ऐसे रोगी एक दम से बढ़ने लगते हैं और इस एकदम से लम्बाई बढ़ने के कारण उन पर शारीरिक तथा मानसिक बोझ आ पड़ता है। ऐसे रोगियों के इस रोग को ठीक करने के लिए ऐसिड फॉस औषधि की 1X मात्रा या 1 शक्ति का उपयोग किया जाता है।
मानसिक-व्यथा, अधिक स्त्रियों के साथ रहना, वीर्य नष्ट होना तथा कभी-कभी अन्य रोग के कारण युवक कमजोर हो जाता है और उसकी याददाश्त भी कमजोर हो जाती है, वह किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता, किसी भी प्रकार से सोच नहीं पाता, हर बात भूल जाता है तथा इन सभी कारणों से अपने जीवन में वह निराश रहता है। ऐसे रोगी के रोग को भी ठीक करने में ऐसिड फॉस औषधि उपयोगी है।
2. ऐनाकार्डियम :-
याददाश्त कम होना, दिमागी-थकावट को दूर करने के लिए ऐनाकार्डियम औषधि की 6 या 200 शक्ति का उपयोग करना लाभकारी होता है।
मानसिक कार्य करने से अधिक थकावट होने के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुए भुलक्कड़पन को दूर करने के लिए भी ऐनाकार्डियम औषधि उपयोगी है।
परीक्षा के समय में बहुत पढ़ने से कभी-कभी मानसिक थकावट इतनी अधिक हो जाती है कि विद्यार्थी का दिमाग ठस (दिमाग काम करना बंद कर देता है) हो जाता है। इस स्थिति में ऐसे विद्यार्थियों के इस रोग का उपचार करने के लिए ऐनाकार्डियम औषधि का उपयोग करना चाहिए।
3. बैराइटा कार्ब :-
बैराइटा कार्ब औषधि की 30 शक्ति वृद्धों तथा बच्चों की शारीरिक तथा मानसिक दोनों प्रकार की कमजोरी को दूर करने में लाभदायक है।
बच्चा शारीरिक तथा मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है, वह लम्बा नहीं हो पाता, उसे टांसिल का कष्ट रहता है, पेट फूला रहता है, उसके शरीर में हर समय थकावट रहती है, हस्त-मैथुन की आदत पड़ जाती है, अपरिचित व्यक्तियों से आंख नहीं मिला सकता है, शर्माता है, उसे स्वप्नदोष भी हो जाता है। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए बैराइटा कार्ब औषधि का उपयोग करना लाभदायक होता है।
रोगी की मानसिक-शक्ति कमजोर होती रहती है तथा याददाश्त खत्म हो जाता है, अपने आप पर भरोसा नहीं रहता है। इस रोग से पीड़ित वृद्ध व्यक्ति भी बच्चों की तरह व्यावाहर करता है, उसकी मानसिक स्थिति कमजोर हो जाती है, कुछ भी याद नहीं रहती है। जब वृद्धावस्था में मानसिक-शक्तियां नष्ट हो जाती है, तो भुलक्कड़पन, याददाश्त नष्ट हो जाना आदि लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं। ऐसे वृद्ध रोगियों के रोग को भी ठीक करने के लिए बैराइटा कार्ब औषधि का प्रयोग करना लाभदायक है।
4. कैन्नेबिस इंडिका :- रोगी इतना भुलक्कड़ हो जाता है कि बोलते-बोलते यह भूल जाता है कि बोला क्या है और क्या बोलना है। ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए कैन्नेबिस इंडिका 2X मात्रा का प्रयोग करना फायदेमंद होता है।
5. इथूजा :- जिन विद्यार्थियों को पढ़ने में मन केंद्रित नहीं होता, उनके लिए इसकी 3 या 30 शक्ति का प्रयोग करना लाभदायक होता है।
6. लैक केनाइनम :- मानसिक रूप से रोगी अनमना और भुलक्कड़ हो जाता है। ऐसे रोगी जब बाजार में खरीदारी करने जाता है तो सामान को खरीदने के बाद सामान को वहीं भूल आता है। कभी-कभी तो रोगी को इसकी आदत पड़ जाती है। मन को केंद्रित नहीं कर पाता। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए लैक केनाइनम औषधि की 3 या 200 शक्ति का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलता है।
7. थूजा :- जब रोगी नींद से उठता है तो वह भुलक्कड़ हो जाता है और जैसे-जैसे समय बीतता जाता है, याददाश्त लौटने लगती है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए थूजा औषधि की 30 या 200 शक्ति का पयोग किया जाता है।
8. ग्लोनॉयन :- रोगी इतना अधिक भुलक्कड़ हो जाता है कि जहां वह कई वर्षों से रह रहा होता है वहां के गली-मोहल्ले को भी भूल जाता है, अपने घर का नंबर भी याद नहीं रख पाता है। इस प्रकार के लक्षण सिर में खून के ज्यादा चढ़ जाने पर होते हैं। ऐसे रोगी के इस रोग को ठीक करने के लिए ग्लोनॉयन औषधि 6 या 30 शक्ति का उपयोग करने से फायदा मिलता है।
9. कैलिबाईक्रोम :- नींद से उठने पर रोगी को कुछ भी याद नहीं रहता और जैसे-जैसे समय बीतता है उसे याद आने लगती है। ऐसे रोगी का उपचार करने के लिए कैलिबाईक्रोम औषधि की 3X या 30 शक्ति का प्रयोग करने से अत्यंत लाभ मिलता है।
10. मैडोराइनम :- रोगी इतना भूलक्कड़ हो जाता है कि वह अपना नाम भी याद नहीं रख पाता, ऐसे रोगी के रोग की चिकित्सा करने के लिए मैडोराइनम औषधि 200 या 1M मात्रा का उपयोग करना चाहिए
स्मरणशक्ति बढ़ाने के लिए सर्वोतम है भ्रामरी प्राणयाम
भ्रामरी प्राणायाम के लाभ
* बुद्धि तेज होती हैं।
* स्मरणशक्ति बढ़ती हैं।
* क्रोध, चिंता, भय, तनाव और अनिद्रा इत्यादि मानसिक विकारो को दूर करने में मदद मिलती हैं।
* मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
* सकारात्मक सोच बढ़ती हैं।
* अर्धशिशी / Migraine से पीडितो के लिए लाभकारी हैं।
* उच्च रक्तचाप को के रोगियों के लिए उपयोगी हैं।
* भ्रामरी प्राणायाम करते समय ठुड्डी (Chin) को गले से लगाकर (जालंदर बंध) करने से थाइरोइड रोग में लाभ होता हैं।
Sinusitis के रोगियों को इससे राहत मिलती हैं।
भ्रामरी प्राणायाम में क्या एहतियात बरतने चाहिए ?
भ्रामरी प्राणायाम में निचे दिए हुए एहतियात बरतने चाहिए
कान में दर्द या संक्रमण होने पर यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।
अपने क्षमता से ज्यादा करने का प्रयास न करे।
प्राणायाम करने का समय और चक्र धीरे-धीरे बढ़ाये।
भ्रामरी प्राणायाम की विधि
* सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर दरी / चटाई बिछाकर बैठ जाए।
* पद्मासन या सुखासन में बैठे।
* अब दोनों हाथो को बगल में अपने कंधो के समांतर फैलाए।
* दोनों हाथो को कुहनियो (Elbow) से मोडकर हाथ को कानों के पास ले जाए।
* अब अपनी दोनों हाथों के अंगूठो (Thumb) से दोनों कानों को बंद कर लें।
* अब दोनों हाथो की तर्जनी (Index) उंगली को माथे पर और मध्यमा (middle), अनामिका (Middle) और कनिष्का (Little) उंगली को आँखों के ऊपर रखना हैं।
* कमर, पीठ, गर्दन तथा सिर को सिधा और स्थिर रखे।
* अब नाक से श्वास अंदर लें। (पूरक)
* नाक से श्वास बाहर छोड़े। (रेचक)
* श्वास बाहर छोड़ते समय कंठ से भ्रमर के समान आवाज करना हैं। यह आवाज पूर्ण श्वास छोड़ने तक करना है और आवाज आखिर तक समान होना चाहिए।
* श्वास अंदर लेने का समय 10 सेकंड तक होना चाहिए और बाहर छोड़ने का समय 20 से 30 सेकंड तक होना चाहिए।
* शुरुआत में 5 मिनिट तक करे और अभ्यास के साथ समय बढ़ाये।
* भ्रामरी प्राणायाम करते समय आप सिर्फ तर्जनी उंगली से दोनों कान बंद कर बाकि उंगली की हल्की मुट्ठी बनाकर भी अभ्यास कर सकते हैं।
स्वस्थ भारत समृद्ध भारत निर्माण हेतु एक प्रयास
निरोगी हेतु महामन्त्र का पालन जरूर करें
मन्त्र 1 :-
• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें
• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें
• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)
• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)
• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)
• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें
• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें
मन्त्र 2 :-
• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)
• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)
• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये
• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें
• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये
• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूणतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें
आयुर्वेद में आरोग्य जीवन हेतु 7000 सूत्र हैं आप सब सिर्फ इन सूत्रों का पालन कर 7 से 10 दिन में हुए बदलाव को महसूस कर अपने अनुभव को अपने जानकारों तक पहुचाये
स्वस्थ व समृद्ध भारत निर्माण हेतु
अमर शहीद राष्ट्रगुरु, आयुर्वेदज्ञाता, होमियोपैथी ज्ञाता स्वर्गीय भाई राजीव दीक्षित जी के सपनो (स्वस्थ व समृद्ध भारत) को पूरा करने हेतु अपना समय दान दें
मेरी दिल की तम्मना है हर इंसान का स्वस्थ स्वास्थ्य के हेतु समृद्धि का नाश न हो इसलिये इन ज्ञान को अपनाकर अपना व औरो का स्वस्थ व समृद्धि बचाये। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और जो भाई बहन इन सामाजिक मीडिया से दूर हैं उन्हें आप व्यक्तिगत रूप से ज्ञान दें।
पानी के सूत्रों का कटरता से पालन करने से इलाज के साथ हर रोग को जल्द से जल्द नष्ट किया जा सकता है।

................AMIT  KATHERIYA
सफ़ेद दाग (ल्युकोडर्मा) की सरल चिकित्सा
ल्युकोडर्मा चमडी का भयावह रोग है,जो रोगी की शक्ल सूरत प्रभावित कर शारीरिक के बजाय मानसिक कष्ट ज्यादा देता है। इस रोग में चमडे में रंजक पदार्थ जिसे पिग्मेन्ट मेलानिन कहते हैं,की कमी हो जाती है।
चमडी को प्राकृतिक रंग प्रदान करने वाले इस पिग्मेन्ट की कमी से सफ़ेद दाग पैदा होता है।
इसे ही श्वेत कुष्ठ कहते हैं।यह चर्म विकृति पुरुषों की बजाय स्त्रियों में ज्यादा देखने में आती है।ल्युकोडर्मा के दाग हाथ,गर्दन,पीठ और कलाई पर विशेष तौर पर पाये जाते हैं। अभी तक इस रोग की मुख्य वजह का पता नहीं चल पाया है।लेकिन चिकित्सा के विद्वानों ने इस रोग के कारणों का अनुमान लगाया है।
पेट के रोग,लिवर का ठीक से काम नहीं करना,दिमागी चिंता,छोटी और बडी आंर्त में कीडे होना,टायफ़ाईड बुखार, शरीर में पसीना होने के सिस्टम में खराबी होने आदि कारणों से यह रोग पैदा हो सकता है।
शरीर का कोई भाग जल जाने अथवा आनुवांशिक करणों से यह रोग पीढी दर पीढी चलता रहता है।
इस रोग को नियंत्रित करने और चमडी के स्वाभाविक रंग को पुन: लौटाने हेतु कुछ घरेलू उपचार कारगर साबित हुए हैं
१) आठ लीटर पानी में आधा किलो हल्दी का पावडर मिलाकर तेज आंच पर उबालें, जब ४ लीटर के करीब रह जाय तब उतारकर ठंडा करलें फ़िर इसमें आधा किलो सरसों का तैल मिलाकर पुन: आंच पर रखें। जब केवल तैलीय मिश्रण ही बचा रहे, आंच से उतारकर बडी शीशी में भरले। ,यह दवा सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। ४-५ माह तक ईलाज चलाने पर आश्चर्यजनक अनुकूल परिणाम प्राप्त होते हैं।
२.) बाबची के बीज इस बीमारी की प्रभावी औषधि मानी गई है।५० ग्राम बीज पानी में३ दिन तक भिगोवें। पानी रोज बदलते रहें।बीजों को मसलकर छिलका उतारकर छाया में सूखालें। पीस कर पावडर बनालें।यह दवा डेढ ग्राम प्रतिदिन पावभर दूध के साथ पियें। इसी चूर्ण को पानी में घिसकर पेस्ट बना लें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर दिन में दो बार लगावें। अवश्य लाभ होगा। दो माह तक ईलाज चलावें।
3) बाबची के बीज और ईमली के बीज बराबर मात्रा में लेकर चार दिन तक पानी में भिगोवें। बाद में बीजों को मसलकर छिलका उतारकर सूखा लें। पीसकर महीन पावडर बनावें। इस पावडर की थोडी सी मात्रा लेकर पानी के साथ पेस्ट बनावें। यह पेस्ट सफ़ेद दाग पर एक सप्ताह तक लगाते रहें। बहुत ही कारगर उपचार है।
लेकिन यदि इस पेस्ट के इस्तेमाल करने से सफ़ेद दाग की जगह लाल हो जाय और उसमें से तरल द्रव निकलने लगे तो ईलाज कुछ रोज के लिये रोक देना उचित रहेगा।
4) एक और कारगर ईलाज बताता हुं--लाल मिट्टी लावें। यह मिट्टी बरडे- ठरडे और पहाडियों के ढलान पर अक्सर मिल जाती है।
अब यह लाल मिट्टी और अदरख का रस बराबर मात्रा में लेकर घोटकर पेस्ट बनालें। यह दवा प्रतिदिन ल्युकोडेर्मा के पेचेज पर लगावें।
लाल मिट्टी में तांबे का अंश होता है जो चमडी के स्वाभाविक रंग को लौटाने में सहायता करता है। और अदरख का रस सफ़ेद दाग की चमडी में खून का प्रवाह बढा देता है।
५) श्वेत कुष्ठ रोगी के लिये रात भर तांबे के पात्र में रखा पानी प्रात:काल पीना फ़ायदेमंद है।
6) मूली के बीज भी सफ़ेद दाग की बीमारी में हितकर हैं। करीब ३० ग्राम बीज सिरका में घोटकर पेस्ट बनावें और दाग पर लगाते रहने से लाभ होता है।
७) एक अनुसंधान के नतीजे में बताया गया है कि काली मिर्च में एक तत्व होता है
--पीपराईन। यह तत्व काली मिर्च को तीक्ष्ण मसाले का स्वाद देता है।
काली मिर्च के उपयोग से चमडी का रंग वापस लौटाने में मदद मिलती है।
८) चिकित्सा वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सफ़ेद दाग रोगी में कतिपय विटामिन कम हो जाते हैं।
विशेषत: विटामिन बी १२ और फ़ोलिक एसीड की कमी पाई जाती है।
अत: ये विटामिन सप्लीमेंट लेना आवश्यक है। कॉपर और ज़िन्क तत्व के सप्लीमेंट की भी सिफ़ारिश की जाती है।
बच्चों पर ईलाज का असर जल्दी होता है| चेहरे के सफ़ेद दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
हाथ और पैरो के सफ़ेद दाग ठीक होने में ज्यादा समय लेते है। ईलाज की अवधि ६ माह से २ वर्ष तक की हो सकती है।
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