मंगलवार, 18 जून 2019


संस्कृत एक परिचय......
संस्कृत के एक- एक शब्द जिसका अर्थ अमूल्य है। समाज में रहने वाले लोगो के लिये , पर हमारा समाज अपनी संस्कृत के गौरव को न तो जानने की कोसिस करता है। और न ही कभी प्रयास करता है ,कि हमारे ज्ञान से सम्पूर्ण विश्व हमारे यहां आता था। और यहां से कुछ न कुछ सीख के जाता था। जैसे
प्राचीन भारत में उच्च शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण और विख्यात केन्द्र था। नालंदा विश्वविद्यालय जहां पुराभिलेखों और सातवीं शताब्दी में भारत के इतिहास को पढ़ने के लिए आये चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा इत्सिंग के ने यहाँ की विद्या को महत्वपूर्ण समझा और आये। पर आज का भारतीय अपने ज्ञान को अनदेखा कर देता है। उसको अपने यहां के सभी विद्याओं को जानना और समझना चाहिए।
भारत देश के विभिन्न संस्थाओं के ध्येय वाक्य आज भी संस्कृत में ही है। किसी अन्य भाषा में नहीं।
भारत सरकार :- सत्यमेव जयते
लोक सभा :- धर्मचक्र प्रवर्तनाय
उच्चतम न्यायालय :- यतो धर्मस्ततो जयः
आल इंडिया रेडियो :- सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय

दूरदर्शन :- सत्यं शिवम् सुन्दरम
गोवा राज्य :- सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् - दुःखभाग्भवेत्।
भारतीय जीवन बीमा निगम :- योगक्षेमं वहाम्यहम्
डाक तार विभाग :- अहर्निशं सेवामहे
श्रम मंत्रालय :- श्रम एव जयते
भारतीय सांख्यिकी संस्थान :- भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम्
थल सेना :- सेवा अस्माकं धर्मः
वायु सेना। :- नभःस्पृशं दीप्तम्
जल सेना- :- शं नो वरुणः
मुंबई पुलिस- :- सद्रक्षणाय खलनिग्रहणाय
हिंदी अकादमी। :- अहम् राष्ट्री संगमनी वसूनाम
भारतीय राष्ट्रीय विज्ञानं अकादमी:- हव्याभिर्भगः सवितुर्वरेण्यं
भारतीय प्रशासनिक सेवा अकादमी :- योगः कर्मसु कौशलं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग :- ज्ञान-विज्ञानं विमुक्तये
नेशनल कौंसिल फॉर टीचर एजुकेशन। :- गुरुः गुरुतामो धामः
गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय। :- ब्रह्मचर्येण तपसा देवा मृत्युमपाघ्नत
इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय- :-ज्योतिर्व्रणीततमसो विजानन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय:- विद्ययाऽमृतमश्नुते
आन्ध्र विश्वविद्यालय-:- तेजस्विनावधीतमस्तु
बंगाल अभियांत्रिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय,
शिवपुर- :-उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान् निबोधत
गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय- :-आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी- :-श्रुतं मे गोपाय
श्री वैंकटेश्वर विश्वविद्यालय-:- ज्ञानं सम्यग् वेक्षणम्
कालीकट विश्वविद्यालय-:- निर्मय कर्मणा श्री
दिल्ली विश्वविद्यालय-:- निष्ठा धृति: सत्यम्
केरल विश्वविद्यालय:-कर्मणि व्यज्यते प्रज्ञा
राजस्थान विश्वविद्यालय:- धर्मो विश्वस्यजगतः प्रतिष्ठा
पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय न्यायिक विज्ञान विश्वविद्यालय-:- युक्तिहीने विचारे तु धर्महानि: प्रजायते
वनस्थली विद्यापीठ-:- सा विद्या या विमुक्तये।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्-:-
विद्याsमृतमश्नुते।
केन्द्रीय विद्यालय-:- तत् त्वं पूषन् अपावृणु
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड-:- असतो मा सद् गमय
प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, त्रिवेन्द्रम- :-कर्मज्यायो हि अकर्मण:
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर-:- धियो यो नः प्रचोदयात्
गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पौड़ी- :-तमसो मा ज्योतिर्गमय
मदनमोहन मालवीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय गोरखपुर-:- योगः कर्मसु कौशलम्
भारतीय प्रशासनिक कर्मचारी महाविद्यालय, हैदराबाद-:- संगच्छध्वं संवदध्वम्
इंडिया विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय विधि विद्यालय:- धर्मो रक्षति रक्षितः
संत स्टीफन महाविद्यालय, दिल्ली -:- सत्यमेव विजयते नानृतम्
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान : - शरीरमाद्यं - --: खलुधर्मसाधनम्
संस्कृत  लकार परिचय......
हिन्दू काल  गणना....


।। संस्कृत को सीखने के लिए इनका नाम पता होना चाहिए।।....
🚘 यानम् ।
आसन्दः / आसनम् ।
🚊 रेलयानम् ।
शशक:।
व्याघ्रः।
वानर:।
अश्व:।
मेष:।
गज:।
🐢 कच्छप:।
🐜 पिपीलिका ।
मत्स्य:।
🐄 धेनु: ।
🐃 महिषी ।
🐐 अजा ।
🐓 कुक्कुट:।
🐁 मूषक:।
🐊 मकर:।
🐪 उष्ट्रः।
पुष्पम् ।
पर्णे (द्वि.व)।
🌳 वृक्ष:।
🌞 सूर्य:।
🌛 चन्द्र:।
 तारक: / नक्षत्रम् ।
 छत्रम् ।
👦 बालक:।
👧 बालिका ।
👂 कर्ण:।
👀 नेत्रे (द्वि.व)।
👃नासिका ।
👅 जिह्वा ।
👄 औष्ठौ (द्वि.व) ।
👋 चपेटिका ।
💪 बाहुः ।
🙏 नमस्कारः।
👟 पादत्राणम् (पादरक्षक:) ।
👔 युतकम् ।
💼 स्यूत:।
👖 ऊरुकम् ।
👓 उपनेत्रम् ।
💎 वज्रम् (रत्नम् ) ।
💿 सान्द्रमुद्रिका ।
🔔 घण्टा ।
🔓 ताल:।
🔑 कुञ्चिका ।
 घटी।
💡 विद्युद्दीप:।
🔦 करदीप:।
🔋 विद्युत्कोष:।
🔪 छूरिका ।
 अङ्कनी ।
📖 पुस्तकम् ।
🏀 कन्दुकम् ।
🍷 चषक:।
🍴 चमसौ (द्वि.व)।
📷 चित्रग्राहकम् ।
💻 सड़्गणकम् ।
📱जड़्गमदूरवाणी ।
 स्थिरदूरवाणी ।
📢 ध्वनिवर्धकम् ।
समयसूचकम् ।
 हस्तघटी ।
🚿 जलसेचकम् ।
🚪द्वारम् ।
🔫 भुशुण्डिका ।(बु?) ।
🔩आणिः ।
🔨ताडकम् ।
💊 गुलिका/औषधम् ।
💰 धनम् ।
 पत्रम् ।
📬 पत्रपेटिका ।
📃 कर्गजम्/कागदम् ।
📊 सूचिपत्रम् ।
📅 दिनदर्शिका ।
 कर्त्तरी ।
📚 पुस्तकाणि ।
🎨 वर्णाः ।
🔭 दूरदर्शकम् ।
🔬 सूक्ष्मदर्शकम् ।
📰 पत्रिका ।
🎼🎶 सड़्गीतम् ।
🏆 पारितोषकम् ।
 पादकन्दुकम् ।
 चायम् ।
🍵पनीयम्/सूपः ।
🍪 रोटिका ।
🍧 पयोहिमः ।
🍯 मधु ।
🍎 सेवफलम् ।
🍉कलिड़्ग फलम् ।
🍊नारड़्ग फलम् ।
🍋 आम्र फलम् ।
🍇 द्राक्षाफलाणि ।
🍌कदली फलम् ।
🍅 रक्तफलम् ।
🌋 ज्वालामुखी ।
🐭 मूषकः ।
🐴 अश्वः ।
🐺 गर्दभः ।
🐷 वराहः ।
🐗 वनवराहः ।
🐝 मधुकरः/षट्पदः ।
🐁मूषिकः ।
🐘 गजः ।
🐑 अविः ।
🐒वानरः/मर्कटः ।
🐍 सर्पः ।
🐠 मीनः ।
🐈 बिडालः/मार्जारः/लः ।
🐄 गौमाता ।
🐊 मकरः ।
🐪 उष्ट्रः ।
🌹 पाटलम् ।
🌺 जपाकुसुमम् ।
🍁 पर्णम् ।
🌞 सूर्यः ।
🌝 चन्द्रः ।
🌜अर्धचन्द्रः ।
 नक्षत्रम् ।
 मेघः ।
 क्रीडनकम् ।
🏠 गृहम् ।
🏫 भवनम् ।
🌅 सूर्योदयः ।
🌄 सूर्यास्तः ।
🌉 सेतुः ।
🚣 उडुपः (small boat)
🚢 नौका ।
 गगनयानम्/विमानम् ।
🚚 भारवाहनम् ।
🇮🇳 भारतध्वजः ।
 वामतः ।
 दक्षिणतः ।
 उपरि ।
 अधः ।
🎦 चलच्चित्र ग्राहकम् ।
🚰 नल्लिका ।
🚾 जलशीतकम् ।
🛄 यानपेटिका ।
📶 तरड़्ग सूचकम् ( तरड़्गाः)
+ सड़्कलनम् ।
- व्यवकलनम् ।
× गुणाकारः ।
÷ भागाकारः ।
% प्रतिशतम् ।
@ अत्र (विलासम्)।
 श्वेतः ।
🔵 नीलः ।
🔴 रक्तः ।
 कृष्णः ।
अगर आप संस्कृत पढना अथवा समझना चाहते है, तो आप इसको पढ़े।।....
ॐ ॥ पारिवारिक नाम संस्कृत मे ......
जनक: - पिता , माता - माता
पितामह: - दादा , पितामही - दादी 
प्रपितामह: - परदादा , प्रतितामही - परदादी
मातामह: - नाना , मातामही - नानी
प्रमातामह: - परनाना , प्रमातामही - परनानी
वृद्धप्रतिपितामह - वृद्धपरनाना
पितृव्य: - चाचा , पितृव्यपत्नी - चाची
पितृप्वसृपितृस्वसा - फुआ , पितृस्वसा - फूफी
पैतृष्वस्रिय: - फुफेराभाई
पति: - पति , भार्या - पत्नी
पुत्र: / सुत: / आत्मज: - पुत्र , स्नुषा - पुत्र वधू
जामातृ - जँवाई ( दामाद ) , आत्मजा - पुत्री
पौत्र: - पोता , पौत्री - पोती
प्रपौत्र:,प्रपौत्री - पतोतरा
दौहित्र: - पुत्री का पुत्र , दौहितत्री - पुत्री का पुत्री
देवर: - देवर , यातृ,याता - देवरानी , ननांदृ,ननान्दा - ननद
अनुज: - छोटाभाई , अग्रज: - बड़ा भाई
भ्रातृजाया,प्रजावती - भाभी
भ्रात्रिय:,भ्रातृपुत्र: - भतीजा , भ्रातृसुता - भतीजी
पितृव्यपुत्र: - चचेराभाई , पितृव्यपुत्री - चचेरी बहन
आवुत्त: - बहनोई , भगिनी - बहिन , स्वस्रिय:,भागिनेय: - भानजा
नप्तृ,नप्ता - नाती
मातुल: - मामा , मातुली - मामी
मातृष्वसृपति - मौसा , मातृस्वसृ,मातृस्वसा - मौसी
मातृष्वस्रीय: - मौसेरा भाई
श्वशुर: - ससुर , श्वश्रू: - सास , श्याल: - साला
सम्बन्धीन् - समधी, सम्बन्धिनि - समधिन
पश ।। जानवरों के नाम।।.......
उंट - उष्‍ट्र‚ क्रमेलकः
उद्बिलाव -
कछुआ - कच्‍छप:
केकडा - कर्कट: ‚ कुलीरः
कुत्‍ता - श्‍वान:, कुक्कुर:‚ कौलेयकः‚ सारमेयः
कुतिया – सरमा‚ शुनि
कंगारू - कंगारुः
कनखजूरा – कर्णजलोका
खरगोश - शशक:
गाय - गो, धेनु:
गैंडा - खड्.गी
गीदड (सियार) - श्रृगाल:‚ गोमायुः
गिलहरी - चिक्रोड:
गिरगिट - कृकलास:
गोह – गोधा
गधा - गर्दभ:, रासभ:‚ खरः
घोडा - अश्‍व:, सैन्‍धवम्‚ सप्तिः‚ रथ्यः‚ वाजिन्‚ हयः
चूहा - मूषक:
चीता - तरक्षु:, चित्रक:
चित्‍तीदार घोडा - चित्ररासभ:
छछूंदर - छुछुन्‍दर:
छिपकली – गृहगोधिका
जिराफ - चित्रोष्‍ट्र:
तेंदुआ – तरक्षुः
दरियाई घोडा - जलाश्‍व:
नेवला - नकुल:
नीलगाय - गवय:
बैल - वृषभ: ‚ उक्षन्‚ अनडुह
बन्‍दर - मर्कट:
बाघ - व्‍याघ्र:‚ द्वीपिन्
बकरी - अजा
बकरा - अज:
बनमानुष - वनमनुष्‍य:
बिल्‍ली - मार्जार:, बिडाल:
भालू - भल्‍लूक:
भैस - महिषी
भैंसा – महिषः
भेंडिया - वृक:
भेंड - मेष:
मकड़ी – उर्णनाभः‚ तन्तुनाभः‚ लूता
मगरमच्‍छ - मकर: ‚ नक्रः
मछली – मत्स्यः‚ मीनः‚ झषः
मेंढक - दर्दुरः‚ भेकः
लोमडी -लोमशः
शेर - सिंह:‚ केसरिन्‚ मृगेन्द्रः‚ हरिः
सुअर - सूकर:‚ वराहः
सेही – शल्यः
हाथी - हस्ति, करि, गज:
हिरन - मृग:


शरीर अंगों के नाम।।
1-बाल - केशा:
2- माँग - सीमन्‍तम्
3- सफेद बाल - पलितकेशा:
4- मस्‍तक - ललाटम् 
5- भौंह - भ्रू:
6- पलक - पक्ष्‍म:
7- पुतली - कनीनिका
8- नाक - नासिका
9- उपरी ओंठ - ओष्‍ठ:
10- निचले ओंठ - अधरम्
11- ठुड्डी - चिबुकम्
12- गाल - कपोलम्
13- गला - कण्‍ठ:
14- दाढी, मूँछ- श्‍मश्रु:
15- मुख - मुखम्
16- जीभ - जिह्वा
17- दाँत- दन्‍ता:
18- मसूढे - दन्‍तपालि:
19- कन्‍धा - स्‍कन्‍ध:
20- सीना - वक्षस्‍थलम्
21- हाँथ - हस्‍त:
22- अँगुली - अंगुल्‍य:
23- अँगूठा - अँगुष्‍ठ:
24- पेट - उदरम्
25- पीठ - पृष्‍ठम्
26- पैर - पाद:
27- रोएँ - रोम
।।।।।।माहेश्वर सूत्र अर्थात् शिवसूत्र-जाल।।।।।....
माहेश्वर सूत्रों की व्याख्या के रूप में ‘नन्दिकेश्वरकाशिका’ के २७ पद्य मिलते हैं | इसके रचयिता नन्दिकेश्वर ने अपने इस व्याकरण और दर्शन के ग्रन्थ में शैव अद्वैत दर्शन का वर्णन किया है, साथ ही, माहेश्वर सूत्रों की व्याख्या भी की है। उपमन्यु ऋषि ने इस पर 'तत्त्वविमर्शिणी' नामक टीका रची है। इनमें से अतिप्रसिद्ध यह पद्य ‘माहेश्वर-सूत्रों’ के अवतरण की कथा सुनाता हैं -श्लोक

‘नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धानेतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम्॥’
... [नन्दिकेश्वरकाशिका-१]
[अर्थात् सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार आदि सिद्धों के उद्धार हेतु देवाधिदेव नटराजराज शिव ने ताण्डव-नृत्त के बाद नौ और पाँच [चौदह] बार डमरू बजाया, इस प्रकार चौदह शिवसूत्रों की ध्वनियों से यह शिवसूत्र-जाल [स्वर-व्यंजनरूप वर्णमाला] में प्रकट हुआ।
पाणिनीय-व्याकरण के इन सूत्रों के आदि-प्रवर्तक भगवान् नटराज को माना जाता है। जो कि पाणिनीय संस्कृत व्याकरण के आधार बने।
ये चौदह सूत्र इस प्रकार हैं –
१. अइउण् २. ॠॡक् ३. एओङ् ४. ऐऔच्
५. हयवरट् ६. लण् ७. ञमङणनम् ८. झभञ्
९. घढधष् १०. जबगडदश् ११. खफछठथचटतव्
१२. कपय् १३. शषसर् १४. हल्
इन १४ सूत्रों में संस्कृत भाषा के वर्णों (अक्षरसमाम्नाय) को एक विशिष्ट प्रकार से संयोजित किया गया है।
शरीर के अंगों के नाम संस्कृत में...........
1- बाल - केशा:
2- माँग - सीमन्‍तम्
3- सफेद बाल - पलितकेशा:
4- मस्‍तक - ललाटम्
5- भौंह - भ्रू:
6- पलक - पक्ष्‍म:
7- पुतली - कनीनिका
8- नाक - नासिका
9- उपरी ओंठ - ओष्‍ठ:
10- निचले ओंठ - अधरम्
11- ठुड्डी - चिबुकम्
12- गाल - कपोलम्
13- गला - कण्‍ठ:
14- दाढी, मूँछ- श्‍मश्रु:
15- मुख - मुखम्
16- जीभ - जिह्वा
17- दाँत- दन्‍ता:
18- मसूढे - दन्‍तपालि:
19- कन्‍धा - स्‍कन्‍ध:
20- सीना - वक्षस्‍थलम्
21- हाँथ - हस्‍त:
22- अँगुली - अंगुल्‍य:
23- अँगूठा - अँगुष्‍ठ:
24- पेट - उदरम्
25- पीठ - पृष्‍ठम्
26- पैर - पाद:
27- रोएँ - रोम

अगर आप संस्कृत से प्यार करते है,और इसको विचारों को आप अपने जीवन मे उतार लेते है, तो इसका मतलब आप भारत की संस्कृति से अपना और अपने समाज विकास कर सकते हैं। और उसको जानने के लिए आपको प्रयास करना चाहिये।। ...........अमित कठेरिया






कुछ वास्तु टिप्स............

[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे |
[२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है |
[३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं |
[४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा |
[५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है |
[६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा |
[७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी |
[८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार के दिन हरी वस्तु खाएं लेकिन पीली वस्तु बिलकुल ना खाएं इससे सुख समृद्धि बड़ेगी |
[९] रात्रि को झूठे बर्तन कदापि ना रखें इसे पानी से निकाल कर रख सकते है हानि से बचोगें |
[१०] स्नान के बाद गीले या एक दिन पहले के प्रयोग किये गये तौलिये का प्रयोग ना करें इससे संतान हठी व परिवार से अलग होने लगती है अपनी बात मनवाने लगती है अतः रोज़ साफ़ सुथरा और सूखा तौलिया ही प्रयोग करें |
[११] कभी भी यात्रा में पूरा परिवार एक साथ घर से ना निकलें आगे पीछे जाएँ इससे यश की वृद्धि होगी |
ऐसे ही अनेक अपशकुन है जिनका हम ध्यान रखें तो जीवन में किसी भी समस्या का सामना नही करना पड़ेगा तथा सुख समृद्धि बड़ेगी |

💥१. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं ।
💥२. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत की कमी हो जाती है। झाड़ू हमेशा छुपा कर रखें |
💥३. बिस्तर पर बैठ कर कभी खाना न खाएं, ऐसा करने से धन की हानी होती हैं। लक्ष्मी घर से निकल जाती है1 घर मे अशांति होती है1
💥४. घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखेर कर या उल्टे सीधे करके नहीं रखने चाहिए इससे घर में अशांति उत्पन्न होती है।
💥५. पूजा सुबह 6 से 8 बजे के बीच भूमि पर आसन बिछा कर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर करनी चाहिए । पूजा का आसन जुट अथवा कुश का हो तो उत्तम होता है |
💥६. पहली रोटी गाय के लिए निकालें। इससे देवता भी खुश होते हैं और पितरों को भी शांति मिलती है |
💥७.पूजा घर में सदैव जल का एक कलश भरकर रखें जो जितना संभव हो ईशान कोण के हिस्से में हो |
💥८. आरती, दीप, पूजा अग्नि जैसे पवित्रता के प्रतीक साधनों को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं।
💥९. मंदिर में धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड की सामग्री दक्षिण पूर्व में रखें अर्थात आग्नेय कोण में |
💥१०. घर के मुख्य द्वार पर दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं |
💥११. घर में कभी भी जाले न लगने दें, वरना भाग्य और कर्म पर जाले लगने लगते हैं और बाधा आती है |
💥१२. सप्ताह में एक बार जरुर समुद्री नमक अथवा सेंधा नमक से घर में पोछा लगाएं | इससे नकारात्मक ऊर्जा हटती है |
💥१३. कोशिश करें की सुबह के प्रकाश की किरणें आपके पूजा घर में जरुर पहुचें सबसे पहले |
💥१४. पूजा घर में अगर कोई प्रतिष्ठित मूर्ती है तो उसकी पूजा हर रोज निश्चित रूप से हो, ऐसी व्यवस्था करे |
"पानी पीने का सही वक़्त".

(1) 3 गिलास सुबह उठने के बाद,
.....अंदरूनी उर्जा को Activate
करता है...
(2) 1 गिलास नहाने के बाद,
......ब्लड प्रेशर का खात्मा करता है...
(3) 2 गिलास खाने से 30 Minute पहले,
........हाजमे को दुरुस्त रखता है..
(4) आधा गिलास सोने से पहले,
......हार्ट अटैक से बचाता है..
यह बहुत अच्छा Msg है  .......AMIT KATHERIYA

शनिवार, 1 जून 2019

पिता........
• *पिता की सख्ती बर्दाश करो, ताकी काबील बन सको,*
• *पिता की बातें गौर से सुनो, ताकी दुसरो की न सुननी पड़े,*
• *पिता के सामने ऊंचा मत बोलो वरना भगवान तुमको निचा कर देगा,*
• *पिता का सम्मान करो, ताकी तुम्हारी संतान तुम्हारा सम्मान करे,*
• *पिता की इज्जत करो, ताकी इससे फायदा उठा सको,*
• *पिता का हुक्म मानो, ताकी खुश हाल रह सको,*
• *पिता के सामने नजरे झुका कर रखो, ताकी भगवान तुमको दुनियां मे आगे करे,*
• *पिता एक किताब है जिसपर अनुभव लिखा जाता है,*
• *पिता के आंसु तुम्हारे सामने न गिरे, वरना भगवान तुम्हे दुनिया से गिरा देगा,*
• *पिता एक एसी हस्ती है ...!!!!*
*माँ का मुकाम तो बेशक़ अपनी जगह है ! पर पिता का भी कुछ कम नही, माँ के कदमों मे स्वर्ग है पर पिता स्वर्ग का दरवाजा है, अगर दरवाज़ा ना ख़ुला तो अंदर कैसे जाओगे ?*
*जो गरमी हो या सर्दी अपने बच्चों की रोज़ी रोटी की फ़िक्र में परेशान रहता है, ना कोइ पिता के जैसा प्यार दे सकता है ना कर सकता है, अपने बच्चों से !!*
*याद रख़े सुरज गरम ज़रूर होता है मगर डूब जाए तो अंधेरा छा जाता है,*
सभी पिता को समर्पित
👍👍🙏🙏🌹🌹
एक #शेयर पिता के नाम,............................................................
अमित कठेरिया 

https://katheriyadhanuksamaj.blogspot.in

योग की कुछ 100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए

1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है। 2. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है । 3. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन ...